Monday, August 18, 2014

Udaan

दिल मे ख्वाईषों के पंख लिए जो उड़ा चला था मैं , प्यार मे तेरे जो गिरा था मैं .... कहाँ होश रह गया था मुझे की किस और अपनी ज़िंदगी का रुख़ मोड़ चुका था मैं ..... मुहब्बत ने जो ऐसी उड़ान दी थी इस परिंदे को , की भूल चुका था मैं इस आसमान की बंदिशें !!!! - The Curious Wizard

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