दिल
मे ख्वाईषों के पंख लिए जो उड़ा चला था मैं , प्यार मे तेरे जो गिरा था मैं
.... कहाँ होश रह गया था मुझे की किस और अपनी ज़िंदगी का रुख़ मोड़ चुका
था मैं ..... मुहब्बत ने जो ऐसी उड़ान दी थी इस परिंदे को , की भूल चुका था
मैं इस आसमान की बंदिशें !!!! - The Curious Wizard