जज़्बातों के ज़ुल्म के तले मैं दबा चला जा रहा था
खोखले से वादों की लहरों में मैं बहा चला जा रहा था
संग अपने यादों मे मैं आशियानों का मंज़र लिए जा रहा था ,
क्या पता था मुझे ,मैं तो बस काग़ज़ के बने इमारतों को आशियाना समझा जा रहा था
बातों के भंवर मे उनके मैं फिसलता चला जा रहा था ,
यह ज्ञांत ना था मुझे की मैं समंदर की गहराईओं मे और डूबता चला जा रहा था
पेड़ों के कुछ टहनिओन को मैने बगीचा समझ लिया था ,
धुले हुए कोयले को मैने सोना समझ लिया था ....
दीवारें लाँघ कर मिलने को मैने इकरार समझ लिया था और
आँखों से आँखें मिला कर बात करने को मैने प्यार समझ लिया था ...
नींद खुली, होश आया तो ध्यान आया की इस पागल मन ने तो खुद तो परवाना समझ लिया था....
खोखले से वादों की लहरों में मैं बहा चला जा रहा था
संग अपने यादों मे मैं आशियानों का मंज़र लिए जा रहा था ,
क्या पता था मुझे ,मैं तो बस काग़ज़ के बने इमारतों को आशियाना समझा जा रहा था
बातों के भंवर मे उनके मैं फिसलता चला जा रहा था ,
यह ज्ञांत ना था मुझे की मैं समंदर की गहराईओं मे और डूबता चला जा रहा था
पेड़ों के कुछ टहनिओन को मैने बगीचा समझ लिया था ,
धुले हुए कोयले को मैने सोना समझ लिया था ....
दीवारें लाँघ कर मिलने को मैने इकरार समझ लिया था और
आँखों से आँखें मिला कर बात करने को मैने प्यार समझ लिया था ...
नींद खुली, होश आया तो ध्यान आया की इस पागल मन ने तो खुद तो परवाना समझ लिया था....
Lovely words. Keep going
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