निर्णय :
ना हम जीते थे ना ही जीते थे वो ,
ना हम हारे थे ना ही उन्हे मिली थी शिकस्त I
हारे तो थे वो लम्हे जिन्होने ईंट बनकर बनाया था यह कहानिओं का आशियाना
हुई थी पराजय उन वादों की जिनके दम से खड़ी थी यह विश्वास की दीवारें I
लाखों कोशिशें की समेटे रखने की सबकुछ और किया बहुत इंतेज़ार की होगा फिर से दिलों मे इकरार ,
बीतता गया समय और बढ़ता रहा वक़्त ,
आशाओं की काल कोठरी मे डाल दिया हमने मन को , ले लिया दिल को हिरासत मे और ढूंढते रहे हम हमारी गुस्ताखियाँ
तेज़ बारिश को देख लोगों ने कहाँ , आ जाती हैं कई बार तूफ़ाने ज़िंदगी में
लेकिन हमारे लिए यह सब उस गवाएँ हुए वक़्त के अश्रुजल थे I
आख़िर सुन ली हमने अपने स्वाभिमान की और कर लिया निश्चय
की ना करेंगे हम अब उनसे आलाप , मगर उठती रही हमारे मन के समंदर मे फिर भी उनके यादों की लहरें I
करते रहे हम इंतेज़ार और इंतेज़ार और इंतेज़ार ! और कहता रहा हमारा मन कि क्यूँ किया था हमने उनपे ऐतबार .
जब तक ना गयी हमारी सोच की रफ़्तार "रुक ", सोचते रहे तब तक हम कि
थी क्या थी हमारी गुस्ताखियाँ जो किया उन्होने हमारे साथ ऐसा " सलूक " .
एक दिन ऐसा वक़्त आया की हमारी यादों की झीलें गयी सूख ,
बदल लिया था दिल ने उनकी ओर से अब अपना रुख़ I
ठान ली हमने निकल आने की उस दलदल से और उतार दिया अपने कंधों से उनके यादों का बोझ.
चल दिए हम उन खुली वादिओं की तरफ जहाँ आज़ादी कर रही थी हमारा इंतज़ार
चले ही थे हम कुछ दूर की आई उनकी आवाज़ ,
"ए परवाने कहाँ चला , देख मैं आ गयी , क्यूँ ना शुरू करें फिर यह कहानी ?
हम मुस्कुराए , उनकी तरफ देखा और कहा , "देर कर दी बहुत , आने मे आपने .
अभी तो ख़तम हुई है हमारी कहानी और शुरू होगी अब एक नयी ज़िंदगानी .अलविदा " I
- The Curious Wizard
ना हम जीते थे ना ही जीते थे वो ,
ना हम हारे थे ना ही उन्हे मिली थी शिकस्त I
हारे तो थे वो लम्हे जिन्होने ईंट बनकर बनाया था यह कहानिओं का आशियाना
हुई थी पराजय उन वादों की जिनके दम से खड़ी थी यह विश्वास की दीवारें I
लाखों कोशिशें की समेटे रखने की सबकुछ और किया बहुत इंतेज़ार की होगा फिर से दिलों मे इकरार ,
बीतता गया समय और बढ़ता रहा वक़्त ,
आशाओं की काल कोठरी मे डाल दिया हमने मन को , ले लिया दिल को हिरासत मे और ढूंढते रहे हम हमारी गुस्ताखियाँ
तेज़ बारिश को देख लोगों ने कहाँ , आ जाती हैं कई बार तूफ़ाने ज़िंदगी में
लेकिन हमारे लिए यह सब उस गवाएँ हुए वक़्त के अश्रुजल थे I
आख़िर सुन ली हमने अपने स्वाभिमान की और कर लिया निश्चय
की ना करेंगे हम अब उनसे आलाप , मगर उठती रही हमारे मन के समंदर मे फिर भी उनके यादों की लहरें I
करते रहे हम इंतेज़ार और इंतेज़ार और इंतेज़ार ! और कहता रहा हमारा मन कि क्यूँ किया था हमने उनपे ऐतबार .
जब तक ना गयी हमारी सोच की रफ़्तार "रुक ", सोचते रहे तब तक हम कि
थी क्या थी हमारी गुस्ताखियाँ जो किया उन्होने हमारे साथ ऐसा " सलूक " .
एक दिन ऐसा वक़्त आया की हमारी यादों की झीलें गयी सूख ,
बदल लिया था दिल ने उनकी ओर से अब अपना रुख़ I
ठान ली हमने निकल आने की उस दलदल से और उतार दिया अपने कंधों से उनके यादों का बोझ.
चल दिए हम उन खुली वादिओं की तरफ जहाँ आज़ादी कर रही थी हमारा इंतज़ार
चले ही थे हम कुछ दूर की आई उनकी आवाज़ ,
"ए परवाने कहाँ चला , देख मैं आ गयी , क्यूँ ना शुरू करें फिर यह कहानी ?
हम मुस्कुराए , उनकी तरफ देखा और कहा , "देर कर दी बहुत , आने मे आपने .
अभी तो ख़तम हुई है हमारी कहानी और शुरू होगी अब एक नयी ज़िंदगानी .अलविदा " I
- The Curious Wizard